पवित्र धर्मशास्त्र बाइबल हिन्दी में

हिन्दी में पवित्रशास्त्र

हिंदी, एक हिन्द-यूरोपीय भाषा, दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी के साथ ही उर्दू भाषा को ‘हिन्दुस्तानी’ के नाम से जाना जाता है, और संयुक्त रूप से इनके लगभग 60 करोड़ देशी वक्ता हैं। हिन्दुस्तानी मुख्य रूप से भारत और पाकिस्तान में बोली जाती है। यह एक ‘बहु-केन्द्रित भाषा’ (pluricentric language) है, जिसका अर्थ है कि इसके कई अलग-अलग मानक रूप हैं- हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है, जबकि उर्दू फ़ारसी-अरबी लिपि में, परन्तु दोनों भाषाएँ अन्तर्निहित रूप से बहुत समान है।

ईसाई धर्म और हिन्दी

भारत में हिन्दी भाषी लोगों के बीच ईसाई धर्म के अनुयायी तीन प्रतिशत से भी कम है, और इनमें से केवल अल्प संख्या में ही ईसाई प्रोटेस्टेंट के रूप में जाने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि ईसाई धर्म दूसरी शताब्दी में भारत आया था। भारत में यूनानी साम्राज्य अस्तित्व में थे, और कुछ भारतीय राजाओं ने यूनानी स्त्रियों से विवाह कर लिया था, जिससे यूनानी वक्ताओं के लिए भारत में यात्रा करना और यूनानी भाषा में प्रचार करना आसान हो गया। अठारहवीं शताब्दी के प्रारम्भ से ही विभिन्न प्रोटेस्टेंट मिशनरी (जैसे विलियम कैरी और हेनरी मार्टिन) भारत में मौजूद थे। हिन्दी-भाषी कलीसियाओं के लिए सुदृढ़ पवित्रशास्त्र की अत्यंत आवश्यकता थी।

प्रारंभिक हिन्दी बाइबल अनुवाद

हिन्दी और उर्दू में बाइबल के अनुवाद का इतिहास आपस में निकटता से जुड़ा हुआ है। हिन्दी में बाइबल का सबसे प्रारंभिक अनुवाद मिशनरियों द्वारा किया गया था। इन मिशनरियों के सामने सबसे पहले भाषाएँ और प्रयुक्त होने वाली लिपियाँ सीखने, तथा उसके बाद मुद्रण और साक्षरता सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करने की बड़ी चुनौतियाँ थीं। हालाँकि, बाइबल का अनुवाद अत्यंत महत्वपूर्ण था, जिससे स्थानीय वक्ताओं को सुसमाचार फैलाने और कलीसियाएँ स्थापित करने में मदद मिलती।

1745 में, जर्मन मिशनरी बेंजामिन शुल्ट्ज़ ने दक्खनी बोली में हिन्दी-उर्दू नया नियम प्रकाशित किया। फिर दो अंग्रेज व्यक्ति, विलियम कैरी (1761-1834) और हेनरी मार्टिन (1781-1812) ने इस कार्य के लिए अपना जीवन समर्पित का निश्चय किया।

हेनरी मार्टिन, एक प्रतिभाशाली भाषा विशेषज्ञ ने उर्दू सीखी, और इसे सीखने के पाँच वर्ष के भीतर ही, उसने स्थानीय वक्ताओं की सहायता से सम्पूर्ण नए नियम का अनुवाद कर लिया। दुःख की बात यह है, कि 1814 में उर्दू लिपि में इसके प्रकाशन से पहले ही युवावस्था में उसकी मृत्यु हो गयी। शीर्षक पृष्ठ पर लिखा था कि ‘इसका अनुवाद हेनरी मार्टिन द्वारा मूल यूनानी भाषा से किया गया था, तथा बाद में मिर्ज़ा फितरत तथा अन्य स्थानीय शिक्षित लोगों की सहायता से इसमें सावधानीपूर्वक संशोधन किया गया’। बाद में 1843 को मार्टिन के पुराने मसौदो के आधार पर सम्पूर्ण बाइबल का प्रकाशन किया गया।

विलियम कैरी ने अन्य भाषाओं में और विशेष रूप से बंगाली में अनुवाद करने के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया, परन्तु साथ ही उसने अन्य बाइबलों के प्रकाशन का भी पर्यवेक्षण किया। वह सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद का इच्छुक था, और दर्जनों विभिन्न प्रकाशनों तथा भारत में सेरामपुर मिशन प्रेस की स्थापना के साथ यह लक्ष्य पूरा हुआ। कैरी की देखरेख में अनुवादकों की एक टीम ने हिन्दी भाषा में कार्य की शुरुआत की तथा 1811 तक हिन्दी नया नियम प्रकाशित हो गया। यह हेनरी मार्टिन की उर्दू, तथा शुल्ट्ज़ के प्रारंभिक कार्य पर आधारित था। कैरी और उसकी टीम ने हिन्दी में पुराने नियम के अनुवाद पर भी कार्य किया, जो कि 1819 में पूर्ण हुआ।

मार्टिन के कार्य का एक भिन्न संस्करण विलियम बॉली (1780-1843) द्वारा हिन्दी में रूपांतरित किया गया जो 1826 में, तथा पुराने नियम के साथ 1834 में प्रकाशित हुआ। हालाँकि, बॉली को अंग्रेजी से काम करना पड़ा, क्योंकि वह इब्रानी भाषा में कुशल नहीं था। विलियम येट्स (1780-1870)  तथा जॉन पार्सन्स सहित अन्य मिशनरियों ने कैरी के कार्य को संशोधित करने का बीड़ा उठाया। जोसेफ ओवन (1814-1870) ने 1850 के दशक के दौरान पुराने नियम को अंतिम रूप देने का कार्य किया।

आधुनिक हिन्दी बाइबल अनुवाद

जैसे-जैसे उन्नीसवीं शताब्दी आगे बढ़ी, हिन्दी उत्तर भारत के लिए एक एकीकृत भाषा बन गयी और खड़ी बोली अधिक प्रभावशाली हो गयी। जिसका अर्थ था, कि मानकीकरण और परिशोधन की आवश्यकता थी, क्योंकि हिन्दी अलग-अलग क्षेत्रों में बोलचाल के अनुसार भिन्न होती है, अर्थात् इसके विभिन्न रूप हैं।

उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध से हिन्दी और उर्दू बाइबल में संशोधन किये गए। कुछ परिवर्तन भाषा से सम्बंधित थे, परन्तु कई परिवर्तन 1881 में वेस्टकॉट और हॉर्ट द्वारा प्रकाशित आलोचनात्मक यूनानी पाठ के नए दृष्टिकोण पर आधारित थे। उदाहरण के लिए, 1893 में विभिन्न मिशनरियों की एक समिति ने उर्दू नए नियम को संशोधित करना शुरू किया, और इसे अंग्रेजी संशोधित संस्करण (ESV) के यूनानी पाठ के अनुरूप बनाया। 1919 में हिन्दी बाइबल का एक महत्वपूर्ण संशोधन प्रकाशित हुआ; इसने एक मजबूत स्थिति हासिल की और इसे व्यापक रुप से पुराने संस्करण की निरंतरता के रूप में देखा गया, जिसे कैरी द्वारा प्रकाशित किया गया था । हालाँकि, यह आलोचनात्मक यूनानी पाठ पर आधारित था, जिसमें से कुछ पद गायब थे तथा पाठ सम्बन्धी अन्य समस्याएँ थी । तब से कई अन्य संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें यहोवा के साक्षी (जेहोवाज़ विटनेस) संस्करण और एन.आइ.वी. (NIV) का अनुवाद शामिल है।

टी. बी. एस. परियोजना

हिन्दी बाइबल के नए संस्करण की आवश्यकता है। यद्यपि कैरी के युग के प्रारंभिक अनुवाद अच्छे हैं, लेकिन हम केवल पाठ को डिजिटलीकृत करके पुनः प्रकाशित नहीं कर सकते, क्योंकि तब से लेकर आज तक हिन्दी भाषा में बहुत से परिवर्तन हो चुके हैं, तथा इसे और अधिक मानकीकृत कर दिया गया है। वर्तमान हिन्दी बाइबल आलोचनात्मक यूनानी पाठ पर आधारित हैं, अर्थात् मूल भाषा से सटीक और विश्वसनीय रूप से अनुवादित कोई भी बाइबल उपलब्ध नहीं हैं, जिसे आधुनिक हिन्दी-भाषी लोग पढ़ सकें।

इसलिए, हाल के वर्षों में टी.बी.एस. (ट्रिनिटेरियन बाइबल सोसाइटी) ने हिन्दी अनुवाद परियोजना शुरू की है, जिसमें हिन्दी बाइबल के पुराने तथा प्रारंभिक संस्करणों की समीक्षा बाद के संस्करणों से की गयी है। यह बड़े हर्ष की बात है कि हिन्दी में यूहन्ना रचित सुसमाचार का अनुवाद प्रकाशित हो चुका है, और अब यह मुद्रित रूप में तथा ऑनलाइन बाइबल ऐप दोनों में उपलब्ध है। हमारे अनुवादक नए नियम के शेष पुस्तकों के अनुवाद पर काम कर रहे हैं। कृपया इस परियोजना के लिए प्रार्थना करें, तथा यह भी कि प्रकाशित यूहन्ना रचित सुसमाचार के द्वारा अनेक हिन्दी पाठक आशीषित हों। 

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